अब जब बजट की बुराई करनेवाले मीम्स और इंटरव्यू लगभग खत्म हो चुके हैं, चलिए देखते हैं कि क्या बजट वाकई 2020 में इंडिया की मदद करेगा या नहीं।


रिपोर्ट कार्ड: घाटे (डेफ़िसिट) से उधार (बॉरोइंग) एक बुरा चक्र

यूनियन बजट 2019 के ₹ 26.98 लाख करोड़ से बढ़कर बजट 2020 ₹ 30.42 लाख करोड़ हो गया है। जबकि, अपेक्षित आय ₹ 22.45 लाख करोड़ है, परिणामस्वरूप, अपेक्षित उधार ₹ 7.96 लाख करोड़ है।

इस साल का राजकोषीय घाटा (फिसकअल डेफ़िसिट) जीडीपी का 3.5% है; फाइनेंशियल रिस्पोन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट (एफ़आरबीएम) की गाइडलाइंस के अनुसार इसे आदर्श रूप से इसे जीडीपी के 3.5 % पर होना चाहिए। भारत की सरकार शहरों और नगरों में शैक्षणिक संस्थानों,स्कूल और कॉलेज बनाना,इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, रोड्स, रेलवे और मेट्रो जैसे अपने उपक्रमों में पूंजी लगाने के लिए उधार लेती है।


प्राथमिक घाटा(प्राइमरी डेफ़िसिट)

2020 में सरकार पर रुपए 7.08 लाख करोड़ का ब्याज का भुगतान बकाया है। इस वर्ष जो उधार उत्पादक लक्ष्यों के लिए उपलब्ध है, मतलब देश का प्राइमरी डेफ़िसिट है ₹ 88134 करोड़, जिसका मतलब है कि जीडीपी का 0.4% सरकार की योजनाओं के उपयोग के लिए उपलब्ध है।

बचाव के लिए डिसइनवेस्टमेंट (विनिवेश)

सरकार की योजना पब्लिक लिमिटेड कंपनीज़ में अपना हिस्सा बेचकर ₹ 1,20,000 करोड़ और पब्लिक सेक्टर बैंक्स और फाइनेंशियल इन्स्टीट्यूशंस में अपना हिस्सा बेचकर ₹ 90,000 करोड़ जुटाने की है।

कर राजस्व (टैक्स रेवेन्यू)

सरकार की 2020-21 में कर राजस्व में ₹ 16.35 लाख करोड़ इकट्ठे करने की योजना है। यह पिछले साल के ₹ 16,49,582 करोड़ के बजट अनुमान से कम है। सरकार की गैर-कर राजस्व में रुपए 3.85 लाख करोड़ पाने की भी योजना है।

इन्कम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स और जीएसटी के राजस्व में क्रमशः 17%, 18% और 18% योगदान की उम्मीद है।

कम पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्स्पेंडीचर)

सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए ₹ 4,12,085 करोड़ ₹ की राशि निश्चित की है जो कि कुल वयाय कि 13.5% है।


राजस्व घाटे(रेवेन्यू डेफ़िसिट) में बढ़ोतरी

रआजस्व खर्चा (रेवेन्यू एक्स्पेंडीचर) सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन, इन्टरेस्ट पेमेंट आदि पर किया जानेवाला खर्चा होता है।

2020 के यूनियन बजट में सरकार का राजस्व प्राप्तियों में रुपए 20.2 लाख करोड़ और राजस्व खर्च में रुपए 26.3 लाख करोड़ का अनुमान है।

राजकोषीय घाटे को धन देने के लिए उधार

बाज़ार का उधार फिर से सरकार का प्राथमिक स्त्रोत होगा।

बाज़ार के उधार के साथ सरकार छोटी बचत के लिए सिक्योरिटीज, अन्य रिसीप्ट्स (इंटरनल डेट और पब्लिक अकाउंट), कैश बैलेंस को कम करके भीधन इकट्ठा करने के बारे में सोच सकती है।

कम होता हुआ कर राजस्व (टैक्स रेवेन्यू)

पिछले सालों में कर राजस्व कम होता जा रहा है, कर और गैर- कर राजस्व सरकार के खर्च की केवल ⅔ जरूरतों को हीपूरा करता है। इन्कम टैक्स कलेक़्शन के अनुमानों की विफलता सए लेकर जीएसटी के अब तक बाधाओं का सामना करने से लगता है कि सरकार अपने आप को बचाने के लिए बाज़ार के उधार की ओर देख रही है।    

एफ़आरएमबी गाइडलाइंस से दूर हो रहे हैं

इकोनोमी को मंडी से बाहर निकालने के लिए सरकार को प्राथमिक विकास के क्षेत्रों में निवेश करने की आवश्यकता है, हालांकि, ऐसा करने से राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा जो इसे एफ़आरएमएमबी की गाइड लाइंस से दूर ले जाता है। जैसा कि बजट में स्पष्ट है कि पूंजीगत व्यय परियोजनाएं जो कि इकोनोमी में योगदान करेंगी उन्हें बढ़ाने के बजाय सरकार राजस्व पर अपना खर्च बढ़ा रही है।