केल्टनर चैनल्स एक एनवेलप-आधारित इंडिकेटर है जिसका उपयोग ट्रेडर्स वर्तमान ट्रेंड समझने और सिगनल्स जनरेट करने के लिए कर सकते हैं। चैनल 3 रेखाओं- ऊपरी, मध्य और निचली का प्रयोग करती है जो प्राइज़ के साथ चलती हैं और एक चैनल-जैसी उपस्थिती बनाती हैं।

केल्टनर चैनल्स दो इंडिकेटरों का क़ॉम्बिनेशन हैं: एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) और एवरेज ट्रू रेंज (एटीआर)। क़ैल्कुलेशन नीचे दिए गए हैं

केल्टनर चैनल को मूविंग एवरेज के आसपास बनाया गया है जो अस्थिरता का प्रयोग कर प्राइज़ की गतिविधि की संभावना का निर्धारण करता है। अपर और लोअर बैंड्स आम तौर से ईएमए के ऊपर और नीचे एटीआर के 2 गुना सेट किए जाते हैं।

केल्टनर चैनल का चार्ट्स पढ़ना

ऊपर फिगर-1 में आप निफ्टी के हावर्ली चार्ट पर प्लॉट किए हुए (20,10,2) केल्टनर चैनल देख सकते हैं। अपर और लोअर चैनल्स मार्केट के लिए नाइचुरल टर्निंग पॉइंट्स का कार्य करते हैं और मिडिल लाइन, ट्रेंड स्थापित हो जाने के बाद सहायक या बाधा के रूप में कार्य करती है। प्राइज़ का अधिक समय तक बाहरी लाइंस के पास रहना ट्रेंड में तेज़ी का संकेत देता है। चैनल की दिशा जैसे ऊपर, नीचे या आजू-बाजू असेट का ट्रेंड डाइरेक्शन दिखाता है।

इंडिकेटर की सेटिंग्स एडजस्ट करना
ईएमए

लंबे ईएमए का अर्थ होगा इंडिकेटर का ज़्यादा पिछड़ना। चैनल्स प्राइज़ के बदलावों को जल्दी प्रतिक्रिया नहीं देंगी। छोटे ईएमए का अर्थ होगा कि बैंड्स प्राइज़ के बदलावों पर जल्दी प्रतिक्रिया तो देंगे लेकिन ट्रेंड की असली दिशा पहचानने को मुश्किल बना देंगे।

एटीआर

लंबे एटीआर पीरियड का अर्थ है एक ज़्यादा चिकनी और कम अस्थिर चैनल।

मल्टिप्लायर

मल्टिप्लायर को व्यक्तिगत पसंद के आधार पर एडजस्ट किया जा सकता है। बड़ा मल्टिप्लायर चौड़ी चैनल बनाएगा।

इंडिकेटर को किसी भी असेट विशिष्ट के लिए आपकी ट्रेडिंग स्टाइल का समर्थन करने के लिए सेट करना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि प्राइज़ ज़्यादा बढ़ती है लेकिन अपर बैंड को नहीं छूती तो आपके चैनल्स बहुत चौड़े हो सकते हैं और आपको अपने मल्टिप्लायर को कम करने की आवश्यकता हो सकती है। यदि किसी अप ट्रेंड में प्राइज़ निचले बैंड को छूती रहती है तो आपकी चैनल्स बहुत टाइट हैं और आपको मल्टिप्लायर को बढ़ा देना चाहिए।

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बॉलिंगर बैंड्स से तुलना

केल्टनर बबैंड्स, बॉलिंगर बैंड्स से बहुत अलग होते हैं और इन्हें एक बिलकुल अलग तरीके से ट्रेड करना चाहिए।क्योंकि यह कभी-कभी एक जैसे लगते हैं तो इन दोनों को एक-दूसरे की जगह रखने की गलती ना करें।

· केल्टनर चैनल्स, बॉलिंगर बैंड्स से ज़्यादा चिकने होते हैं क्योंकि स्टैंडर्ड डीवीएशन पर आधारित बॉलिंगर बैंड्स की चौड़ाई एवरेज ट्रू रेंज (एटीआर) से ज़्यादा अस्थिर होती है। इससे निरंतर चौड़ाई बनाती है और यह आनेवाले ट्रेंड्स के लिए बहतर है।

· केल्टनर चैनल्स एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज का उपयोग करता है जो बॉलिंगर बैंड्स में उपयुक्त सिंपल मूविंग एवरेज से ज़्यादा सेंसिटिव है।

स्कैनर स्ट्रैटेजीज

मार्केट पल्स स्कैनर में  एक बुलिश और बियरिश रिवर्सल स्ट्रैटेजी है जिसका उपयोग ट्रेड्स को ढूँढने के लिए किया जा सकता है। ये स्क़ैन्स चैनल्स के चरम से मीन की ओर प्राइज़ रिवर्शन पहचानते हैं।

केल्टनर रिवर्सल स्ट्रैटेजी- लॉन्ग

क्राइटेरिया उन ट्रेंड्स को ढूँढना है जो पहले लोअर चैनल के नीचे बंद हुए और सबसे नया क्लोज़ लोअर चैनल से ऊपर है।

ट्रेड: पिछली दो क़ैंडल्स के सबसे नीचे के स्टॉप लॉस के साथ नई कैन्डल ओपन पर खरीदें।
एग्जिट: जब प्राइज़ 20 पीरियड के ईएमए को छुए या एसएल ट्रिगर हो तब क्लोज़ करें।

केल्टनर रिवर्सल स्ट्रैटेजी- शॉर्ट

क्राइटेरिया है ऐसे ट्रेड्स ढूँढना जो पहले अपर चैनल के ऊपर बंद हुए हो और सबसे नया क्लोज़ अपर चैनल के नीचे हो।

ट्रेड: आखरी 2 क़ैंडल्स के सबसे नए हाई के स्टॉप लॉस के साथ नई कैन्डल ओपन पर बेचें।
एग्जिट: जब प्राइज़ 20 पीरियड के ईएमए को छुए या एसएल ट्रिगर हो तब क्लोज़ करें।

नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट्स आपको बताते हैं कि स्कैनर का उपयोग कैसे किया जा सकता है-

कंक्लूजन

केल्टनर चैनल ट्रेंड की दिशा का विश्लेषण करने में उपयोगी होती हैं। हालांकि, मैं इन्हें प्राइज़ और वॉल्यूम एक्शन के साथ उपयोग करने की सलाह देता हूँ। अपने ट्रेडिंग परिणामों को बेहतर करने के लिए अपने स्कैनर में एक वॉल्यूम फिल्टर जोड़ने पर विचार करें। आपको हर असेट के लिए चार्ट्स भी देखने चाहिए और अपनी केल्टनर चैनल्स को थोड़ा एडजस्ट भी करना चाहिए।  जो सेटिंग्स आप एक असेट के लिए उपयोग करते हैं वो दूसरे के लिए काम ना करें या बेस्ट न हो।

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